Wednesday, June 15, 2011

सिकुड़ रहा है मानव का मस्तिष्क!


इस धारणा के विपरीत कि मानव पहले से लंबा हुआ है, एक नए शोध में पता लगा है कि आदमी का कद छोटा हो रहा है और उसका मस्तिष्क भी सिकुड़ता जा रहा है। डेली मेल के अनुसार कैम्बि्रज विश्वविद्यालय के एक दल ने पाया कि शिकार के बाद मानव ने करीब 9000 साल पहले कृषि करना शुरू किया। इससे भोजन तो काफी मिलने लगा लेकिन खनिजों और विटामिन की कमी होने लगी जिससे मनुष्य के विकास पर असर पड़ा। चीन में शुरू के मानव चावल और बाजरे जैसे अनाज पर निर्भर रहते थे जिसमें नियासिन (विटामिन बी) का अभाव होता था जो वृद्धि के लिए जरूरी है। लेकिन कृषि के बढ़ने से कैसे मस्तिष्क सिकुड़ना शुरू हुआ यह पता नहीं है। करीब 20000 साल पहिले पुरूष का मस्तिष्क 1500 क्यूबिक सेंटीमीटर था और आधुनिक मानव का मस्तिष्क 1350 क्यूबिक सेंटीमीटर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका आशय यह नहीं है कि वह कम बुद्धिमत्तापूर्ण व्यक्ति बन गया है। बजाय इसके वह संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करना सीख गया है। मानव ने अपनी ऊंचाई की सीमा तय कर ली है और आधुनिक मानव अपने शिकारी पूर्वज की तुलना में दस प्रतिशत छोटा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कद काठी में यह कमी पिछले 10000 साल में आई है। इसके लिए उन्होंने कृषि, सीमित खानपान की आदत और शहरीकरण को जिम्मेदार ठहराया है जिसके कारण लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है और बीमारियां बढ़ी हैं। अफ्रीका, यूरोप और एशिया से मिले मानव अवशेषों के जीवाश्म के आधार पर यह नतीजा सामने आया है। अखबार ने मानव विकास मामले के विशेषज्ञ डॉ. मार्टा लाहर के हवाले से कहा कि 200000 साल पहले इथोपिया में इंसान आज की तुलना में अधिक बड़ा और अधिक हृष्ट-पुष्ट था। इजरायल की गुफाओं से मिले 120000 से 100000 साल पहले के जीवाश्म बताते हैं कि तब का इंसान आज की तुलना में अधिक लंबा और हृष्ट-पुष्ट था।


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