Sunday, May 1, 2011

मिलिए अजब चाल वाले पृथ्वी के नन्हें दोस्त से



वह बहुत छोटा है। चाल भी उसकी बड़ी ही अजीबोगरीब है। मगर आकाशगंगा के करोड़ों पिंडों में पृथ्वी के इस नए दोस्त की तलाश से वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं। अजब-गजब चाल वाले पृथ्वी के इस सहचर ग्रह की खोज से आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों को आकाशगंगा की कुछ नई गुत्थियां सुलझने की उम्मीद बंधी है। सौर परिवार में करोड़ों पिंड विचरण कर रहे हैं, जिनमें कुछ पृथ्वी के सहचर लघु ग्रह हैं। नासा के वाइस अंतरिक्ष यान ने ऐसे ही इस सबसे लघु ग्रह का पता लगाया है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष इसका पता चल गया था। तब से वैज्ञानिक इसकी पड़ताल में जुटे हैं। गहन अध्ययन के बाद इस नए उप ग्रह की पुष्टि हो पाई। वैज्ञानिकों ने इसका नाम 2010 एसओ-16 रखा है। भारतीय तारा भौतिकी संस्थान के खगोल वैज्ञानिक प्रो.आरसी कपूर के मुताबिक, सका कक्षा (ऑर्बिट) पृथ्वी के समान है, लेकिन कुछ अधिक अंडाकार है। इसे सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 365 दिन, छह घंटे लगते हैं। आकार में यह लगभग 400 मीटर का है। अध्ययन के बाद हाल ही में इसके एस्टीराइड होने की पुष्टि हो सकी है। इस पिंड की खास बात यह है कि यह विचित्र गति करने वाला लघु ग्रह है। जब पृथ्वी के करीब होता है तो इसकी गति तेज हो जाती है और जब दूर होता है तो गति धीमी हो जाती है। फिलहाल इसकी चाल व आकार के बारे में पता चल गया है, लेकिन अभी वैज्ञानिक अब इस बात का भी अध्ययन कर रहे हैं कि इसका निर्माण पृथ्वी के समीप हुआ है या फिर एस्टीराइड बेल्ट में हुआ। इस पिंड से पहले ऐसे ही चार अन्य लघु ग्रह खोजे जा चुके हैं। इनके नाम 54-509 वाईओ, आरपी, 2002 एए-29, 2001 जीओ 2 तथा 3753 क्रूथन है। यह सभी एस्टीराइड पृथ्वी के सहचर हैं। सौर परिवार में अलग-अलग तरह के विचरण करते करोड़ों पिंडों पर पृथ्वी से टकराने की आशंका के चलते वैज्ञानिकों की इन पर खास नजर रहती है। नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के सूचना वैज्ञानिक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि यह बेहद महत्वपूर्ण खोज है।


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