ग्रहों पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि हर रोज कई छोटे आकार के ब्लैकहोल बिना नुकसान पहुंचाए धरती के पास से गुजर जाते हैं। आमतौर पर माना जाता है कि ब्लैकहोल बहुत विशाल और विनाशकारी होते हैं लेकिन नई खोज से साफ हो गया है कि नन्हें ब्लैकहोलों से पृथ्वी को खतरा नहीं है। प्रतिवर्ष धरती के पास से शांतिपूर्वक गुजर जाने वाले ब्लैक होल अक्सर अपनी कक्षा में आने वाली वस्तुओं को ही अपने में आत्मसात करते हैं। जिसतरह किसी परमाणु के नाभिकीय को न छेड़ते हुए वह इलेक्ट्रान के माफिक मंडराते रहते हैं। अध्ययन के मुताबिक नन्हें ब्लैक होल इतने निष्प्रभावी होते हैं कि वह पृथ्वी पर रह भी सकते हैं और उसे बिना कोई हानि पहुंचाए उसके पास से गुजर भी जाते हैं। बड़े ब्लैक होल अपने आसपास तो क्या धुरी पर आने वाले ग्रहों तक को निगल जाते हैं जबकि नन्हें ब्लैक होल गुरुत्वाकर्षण बल बहुत सीमित होता है। कैलिफोर्निया के हेल्सियन मॉलिक्यूलर के आरोन पी. वैनडेवेंडर और न्यूमेक्सिको के सांदिया राष्ट्रीय प्रयोगशाला के जे पेस वैनडेवेंडर ने इस शोध दल का नेतृत्व किया है। डेलीमेल की खबर के अनुसार शोध में कहा गया है कि यह छोटे ब्लैकहोल वस्तुओं को कक्षा में स्थापित किए रहते हैं, ठीक उसी तरह जैसे इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर कक्षा में मौजूद रहते हैं। गौरतलब है कि सामान्य तौर पर बड़े आकार के ब्लैकहोल अपने पास से गुजरने वाली रौशनी समेत हर वस्तु को निगल जाते हैं। इनका निर्माण विशाल तारों के आपस में टकराने से होता है। वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया के सिद्धांत को परमाणु के समतुल्य गुरुत्वाकर्षण का नाम दिया है। एआरएक्सआईवी. ओआरजी वेबसाइट पर प्रसारित किए गए इस शोध में वैज्ञानिकों ने कहा है, इस तरह के ब्लैकहोल को ढ़ूंढ़ना मुश्किल तो है पर नामुमकिन नहीं। वैनडेवेंडर्स के अनुसार उनमें एक अणु के जितना गुरुत्वाकर्षण बल होता है। उनकी गणना के अनुसार लाखों किलोग्राम के नन्हें ब्लैकहोल प्रतिवर्ष धरती के पास से गुजर जाते हैं। लेकिन वह धरती का कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं।
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