Thursday, May 19, 2011

टाइटन पर स्थित मिथेन की झील में पहंुचेगी रोबोट-नाव


ब्रिटिश वैज्ञानिक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ मिल कर एक ऐसी मशीनी नाव बनाने की योजना बना रहे हैं जो शनि ग्रह के उपग्रह टाइटन पर स्थित मिथेन के भंडार में जीवन के निशान तलाशेगी। दी ऑब्जर्बर की खबर के अनुसार ओपेन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन जार्नेकी की अगुवाई में बने इस दल का कहना है कि इनकी यह नाव टाइटन के सतह पर स्थित मिथेन और इथेन के लीगिया मेर नाम के भंडार में उतरेगी। टाइटन मेर एक्सप्लोरर (टाइम) नाम के इस अभियान के जरिए कई महीनों तक टाइटन की सतह पर पड़ने वाली हवाओं और दबाव का अध्ययन किया जाएगा। टाइटन हमारे सौरमंडल का एकमात्र ऐसा उपग्रह है जिसके वातावरण में नाइट्रोजन और मिथेन गैसों की मोटी चादर मौजूद है। प्रो. जार्नेकी ने बताया, टाइटन पर तरंगें बड़ी होने के बावजूद महासागरों की तरंगों से काफी छोटी होती हैं। इस कारण सौरमंडल में यहां जाना काफी आसान है। एक दिक्कत बस यह है कि वहां का तापमान शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस नीचे होता है। उन्होंने बताया कि टाइटन पर अत्यधिक ठंड के कारण ही धरती पर गैस के रूप में मौजूद मिथेन वहां द्रव्य के रूप में पाई जाती है। टाइटन अकेला ऐसा चंद्रमा है जिसका अपना वातावरण है और वह नाइट्रोजन और मीथेन का बना हुआ है। इसीलिए धरती के अलावा किसी समुद्र में यह अभियान अपनी तरह का पहला होगा। जिस तरह धरती पर पानी गैस, तरल व ठोस तीनों ही रूपों में पाया जाता है, ठीक उसी तरह टाइटन पर मीथेन तीनों रूपों में मौजूद है। मीथेन टाइटन की सतह और वातावरण के बीच एक चक्र के रूप में संतुलन का काम भी करता है जिस तरह धरती पर पानी करता है। वह वहां के वातावरण को बदलकर प्रभावित करता है। सूर्य से आने वाले अल्ट्रवायलेट किरणें मीथेन से रासायनिक क्रिया करके जटिल तरल कार्बन बनाती हैं जो सतह पर बहने लगता है। इससे टाइटन पर पेट्रो केमिकल्स की वर्षा होती है। इन पेट्रो केमिकल्स पदार्थो से भरी नदिया आसपास सबकुछ बहाकर झीलों का निर्माण करती हैं। टाइम प्रोब को अंतरिक्ष यान के जरिए सौरमंडल की अरबों मील की यात्रा के बाद टाइटन पर छोड़ दिया जाएगा।


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