जलाशयों की स्थिति से हरदम परिचित रहेगा बिजली कंपनी प्रबंधन
सुंदरनगर सतलुज या ब्यास नदियों का जल अब डराएगा नहीं बल्कि ऐसा तंत्र विकसित हो रहा है जिससे पानी सूचना देगा कि उसके तेवर कब कैसे और कितने खतरनाक होंगे। कमर कसी है भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) व हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड लिमिटेड ने। पानी का खौफ इस क्षेत्र को इतना डराता है कि भारत दौरे पर आए चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने जो सात समझौते किए हैं उनमें एक भारत को सतलुज बेसिन में पानी की जानकारी देने का भी है। चीन कितना वादा निभाता है, यह अलग बात है, लेकिन सतलुज ब्यास बेसिन के ब्यास-सतलुज बेसिन पर बने पावर प्रोजेक्टों के आधुनिकीकरण के लिए करोड़ों की लागत से सभी बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं में जल सूचना प्रणाली (एचआइएस) विकसित की जाएगी। इससे जल विद्युत परियोजनाओं के जलाशयों के परिचालन व प्रबंधन में शीर्ष प्रबंधन को सही समय पर दीर्घावधि तथा अल्पावधि निर्णय लेने में सहायता मिलेगी। इस तंत्र से विकसित होने वाली प्रणाली को रियल टाइम डिसीजन सपोर्ट सिस्टम कहा गया है। यह निर्णय जलाशयों के बहाव तथा पावर हाउस में टरबाइन चलाने की समय सारिणी, स्पिलवे गेट्स के परिचालन तथा बाढ़ की चेतावनी में कारगर सिद्ध होंगे। जल सूचना प्रणाली के तहत बड़ी परियोजनाओं में इलेक्ट्रोनिक सेंसर व डाटा स्टेशन स्थापित होंगे। इससे जलाशय स्तर, बरसात व पानी की गुणवत्ता की जानकारी रेडियो या फिर सैटेलाइट के माध्यम से एक से दूसरे स्टेशन को भेजी जाएगी। जल स्त्रोतों की योजना व प्रबंधन करने वाले सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के सभी उपभोक्ताओं को जल संबंधी निवेश में कम लागत में बेहतर उत्पादन मिल सके इसके लिए जल सूचना प्रणाली का खाका तैयार किया गया है। इस प्रणाली को नवीनतम डाटा लेकर विकसित करने की योजना है। इसके तहत सही डाटा लेना, बर्फ के पिघलने और बहाव के पूर्वानुमान की प्रणाली में सुधार किया जाएगा। जाहिर है, इससे बांधों के रखरखाव, बिजली उत्पादन और जल वितरण में भी सुधार होगा। मौसम पर नजर रखने के लिए लिए भी स्टेशन बनेगा। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष एबी अग्रवाल कहते हैं कि ब्यास सतलुज संपर्क योजना में भी जल सूचना प्रणाली विकसित हो रही है। प्रदेश बिजली बोर्ड लिमिटेड के मुख्य अभियंता (उत्पादन) पीसी नेगी कहते हैं कि राज्य विद्युत परिषद के अधीन चलने वाली लारजी पावर प्रोजेक्ट के साथ दूसरी बड़ी योजनाओं में जल सूचना प्रणाली के आधुनिकीकरण का खाका तैयार किया जा रहा है।
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