Wednesday, March 23, 2011

ज्वालामुखी ने डाली थी जीवन की नींव


 ज्वालामुखी विस्फोट और बिजली की कड़क भले ही दिल दहलाने वाली होती है, लेकिन इनके जरिये ही पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। जिसे प्रोसीडिंग ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। डेली मेल के अनुसार, सेन डियागो स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता अमेरिकी प्रोफेसर स्टेन्ले मिलर के पांचवें दशक में किए गए एक शोध में पाए गए प्री-मोर्डियल सूप गैस के नमूनों पर आधुनिक तकनीक के जरिये पुन: विश्लेषण करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं। दल का नेतृत्व कर रहे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और स्टेन्ले के छात्र रहे जेफरी बाडा ने कहा, हमारे शोध में पाया गया अमीनो एसिड स्टेन्ले के नमूनों से काफी बेहतर है, ये हमारे 2008 से चल रहे अध्ययन को बढ़ाने के साथ साथ यौगिकों की विविधता को भी प्रभावित करेगा, जिसे हम किसी निश्चित गैसीय मिश्रण से प्राप्त कर सकते है। बाडा ने एक हजार गुना अधिक संवेदनशील तकनीक का इस्तेमाल कर जीवन के लिए आवश्यक अमीनो एसिड की श्रृंखला का पता लगाया है। प्रोफेसर स्टेन्ले ने 1953 में एक शोध में पृथ्वी पर जीवन के शुरुआत के पहले (लगभग 40 करोड़ साल) की वायुमंडलीय परिस्थिति बनाने की कोशिश थी। स्टेन्ले ने मिथेन, अमोनिया, वाष्प और हाइड्रोजन के मिश्रण में विद्युत तरंग के जरिये अमिनो एसीड और दूसरे कार्बनिक यौगिक बनाने में सफलता हासिल की थी। हालांकि उन्हें जीवन के वास्तविक घटक प्री-मोर्डियल सूप को हासिल करने में पूरी तरह से कामयाबी नहीं मिल पाई थी। वर्ष 1958 में अपने दूसरे शोध में स्टेन्ले ने मिश्रण में ज्वालामुखी से निकलने वाली जहरीली गैस हाइड्रोजन सल्फाइड को मिलाकर एक निर्णायक कदम उठाया था। कोलंबिया विश्वविद्यालय में किए गए उनके शोध का विश्लेषण नहीं किया गया था। हालांकि इसके दस्तावेजों को संभालकर जरूर रखा गया था। प्रोफेसर बाडा के परिणामों में कार्बनिक यौगिकों की प्रचूरता का खुलासा हुआ। इनमें 23 अमीनो एसिड भी शामिल थे। एक श्रृंखला में जुड़े करीब 20 अमीनो एसिड प्रोटीन बनाते हैं जो सभी जीवित प्राणियों के लिए कार्बनिक तंत्र और कोशिका निर्माण के लिए सामग्री उपलब्ध कराता है। अमीनो एसिड की प्रचूरता प्रोफेसर मिलर के वास्तविक प्रीमोर्डियल सूप प्रयोग और दो इसके अगले अध्ययनों में उत्पादित अमीनो एसिड से ज्यादा थी। अध्ययन के परिणाम इस बात का समर्थन करते हैं कि जीवन की उत्पत्ति में ज्वालामुखियों की अहम भूमिका थी। ज्वालामुखी विस्फोट से काफी मात्रा में हाइड्रोजन सल्फाइड और बिजली की कड़क निकलती है। जब पृथ्वी अपनी युवावस्था में थी तब इस तरह की घटनाएं बेहद आम थीं। बाडा ने यह भी पाया कि स्टेन्ले के नमूनों में मौजूद अमीनो एसिड उल्का पिंडों में मौजूद अमिनो एसिड जैसे ही हैं, जिससे संकेत मिलता है कि हाइड्रोजन सल्फाइड के निर्माण की प्रक्रिया ने पूरे सौरमंडल में जीवन के बीज बोने में मदद की होगी|

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