Friday, March 4, 2011

सूर्य के लापता धब्बों की वजह का पता चला


दुनिया भर के सौर वैज्ञानिक वर्ष 2008-09 के दौरान सूर्य के धब्बों के लापता होने से चकित थे ‘सूर्य के भीतर मौजूद प्लाज्मा की धाराओं ने सूर्य के धब्बों के निर्माण में हस्तक्षेप किया और सौर न्यूनता को बढ़ाया।
भारत के शीर्ष वैज्ञानिक संगठन और नासा द्वारा प्रायोजित एक संयुक्त अनुसंधान और कोलकाता के एक वैज्ञानिक ने सूर्य के 11 वर्षीय चक्र के दौरान सौर गतिविधियों में कमी आने की पहेली को हल कर लिया है। दुनिया भर के सौर वैज्ञानिक वर्ष 2008-09 के दौरान सूर्य के धब्बों के लापता होने से चकित थे। पिछले 100 सालों के दौरान यह सर्वाधिक न्यूनतम सौर गतिविधि थी। न्यूनतम सौर गतिविधि के दौरान सूर्य के धब्बों और सौर अंधड़ों की आवृत्ति काफी कम हो जाती है। नासा के एक बयान के अनुसार, सौर गतिविधियों की इस न्यूनता का असर अंतरिक्ष यात्रा की सुरक्षा और हमारे ग्रह द्वारा इकट्ठा किए जाने वाले कक्षीय कचरे की मात्रा पर पड़ता है। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के प्रमुख लेखक दिव्येन्दु नंदी ने कहा, ‘सूर्य के भीतर मौजूद प्लाज्मा की धाराओं ने सूर्य के धब्बों के निर्माण में हस्तक्षेप किया और सौर न्यूनता को बढ़ाया।’
नासा के ‘लिविंग विद अ स्टार’ कार्यक्र म और भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्तपोषित इस अनुसंधान से पता चला है कि इस सौर न्यूनता की अवधि में सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो जाता है जिसके कारण रिकार्ड संख्या में अंतरिक्षीय किरणों सौर पण्राली में प्रवेश कर जाती हैं। इसके चलते अंतरिक्ष की यात्रा जोखिमपूर्ण हो जाती है। इसमें कहा गया है, इसके साथ ही पराबैंगनी किरणों में कमी के कारण पृथ्वी की ऊपरी सतह ठंडी होकर ध्वस्त हो गई। नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय में हिलियोफिजिक्स डिवीजन के निदेशक र्रिचड फिशर ने कहा, ‘इस अनुसंधान से यह प्रदर्शित होता है कि हिलियोफिजिक्स सिस्टम आब्जव्रेटरी मिशन के प्रेक्षण किस प्रकार नए सिद्धांतों और विकसित तकनीकों को प्रोत्साहित करते हैं।’ सौर चक्र या सौर चुंबकीय गतिविधि चक्र सूर्य से निकलने वाली प्रदीप्ति है जिसका अनुभव पृथ्वी पर होता है।


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