Friday, April 29, 2011

एलियन्स आ गए तो क्या होगा!


सप्ताहभर पहले सर्बिया में एक मृत एलियन्स के मिलने की खबर ने एक बार फिर इस बहस को जिंदा कर दिया है कि क्या धरती पर एलियन्स का कोई अस्तित्व है? कुछ समय पहले ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम के विख्यात लेखक और एस्ट्रो-फिजिक्स से जुड़े विषयों पर विश्व के सर्वाधिक प्रामाणिक और अधिकार-संपन्न वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, विश्लेषक और चिंतक स्टीफन हाकिंग ने वैज्ञानिक समुदाय को झकझोर दिया था। उनके बयान ने वैश्विक स्तर पर एक आशंका भरी बहस को भी जन्म दिया था- क्या धरती एलियन्स के निशाने पर आ सकती है?

वर्ष 1984 में मेट्रो गोल्डविन मेयर ने पीटर हायम्स के निर्देशन में अन्य ग्रहों के प्राणियों यानी एलियन्स पर आधारित एक फिल्म बनाई थी। नाम था- 2010 : द इयर वी मेक कॉन्टेक्ट। फिल्म में बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा के निवासियों और इंसानों के बीच हुए पहले संपर्क की कल्पना की गई थी, जो वर्ष 2010 में घटित होना था। लेकिन यह तो फिल्मी कहानी हुई। व्यावहारिक दुनिया में लौटकर देखें तो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में 2010 प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग की इस चेतावनी के लिए याद किया जाएगा कि अन्य ग्रहों के प्राणियों से संपर्क के लिए अधिक लालायित होने की आवश्यकता नहीं है। इंसानों के लिए इसके विनाशकारी नतीजे भी हो सकते हैं। संयोगवश, 2010 के अंतिम दृश्यों में भी एलियन्स धरती की ओर लगातार यही संदेश प्रसारित करते हैं कि तुम बाकी ग्रहों पर भले ही नियंत्रण कर लो, मगर यूरोपा पर आने की कोशिश भूलकर भी मत करना। स्टीफन हाकिंग भी कुछ-कुछ यही कहते हैं। फर्क यह है कि वे सिर्फ यूरोपा के संदर्भ में नहीं, बल्कि सौर मंडलीय और परा-सौर मंडलीय दुनिया के निवासियों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं। इसके बावजूद कि दूसरे ग्रहों के प्राणियों की खोज अंतरिक्ष विज्ञान के सबसे रोमांचक पहलुओं में से एक है और हम इंसानों के लिए सर्वाधिक कौतूहल वाले विषयों में शामिल है।

पुनर्जन्म और स्वर्ग-नरक की परिकल्पनाएं भी कुछ-कुछ ऐसे ही विषय हैं। अंतरिक्ष विज्ञान एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके अन्वेषण के लिए प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र भी साथ आने में संकोच नहीं करते। नासा, सेटी और अन्य अंतरिक्ष संस्थानों ने एलियन्स तक संदेश पहुंचाने या उनसे दोतरफा रेडियो संपर्क कायम करने के लिए कई महत्वाकांक्षी प्रयास किए हैं। चंद्रमा से लेकर मंगल, शुक्र, बृहस्पति, शनि, बुध, यूरेनस, वरुण और यम यानी प्लूटो तक के अन्वेषण की अलग-अलग किस्म की परियोजनाएं इंसानों ने लांच की हैं। फिर हाल के वषरे में तो हमारी निगाहें सौर मंडल से बाहर स्थित सितारों तक भी जा पहुंची हैं। तो क्या जैसा कि स्टीफन हाकिंग संकेत दे चुके हैं, क्या यह सब करके हम अपने ही विनाश को न्यौता दे रहे हैं? स्टीफन हाकिंग की बातों को गंभीरता से न लेने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय को झकझोर दिया है। उनके बयान ने वैश्विक स्तर पर एक आशंका भरी बहस को भी जन्म दिया है- क्या धरती एलियन्स के निशाने पर आ सकती है? क्या किसी अंतरग्रहीय युद्ध में इंसानी प्रजाति और इस शानदार ग्रह का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है? यदि हां, तो ऐसा कब तक संभव है? और, क्या हम इसे टाल सकते हैं?

डिस्कवरी टीवी चैनल पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों की बेहद चर्चित श्रंखला में स्टीफन हाकिंग ने मोटे तौर पर दो बातें कही हैं- पहली, अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना वास्तविक है और दूसरी, हमें अन्य ग्रहों से मेलजोल के प्रयास सुखद परिणाम ही लेकर आएं, यह जरूरी नहीं। बहुत संभव है कि इस संपर्क का परिणाम लगभग वैसा ही घातक हो, जैसा क्रिस्टोफर कोलंबस के आने का नई दुनिया यानी अमेरिका के मूल निवासियों पर हुआ था। उनका मानना है कि जो एलियन्स धरती पर आएंगे, वे असल में अपने ग्रहों पर संसाधनों का इतना अधिक दोहन कर चुके होंगे कि वे ग्रह प्राणियों के रहने योग्य नहीं रह गए होंगे। वे विशाल अंतरिक्ष यानों में ही रहने को मजबूर होंगे और रास्ते में जो भी ग्रह आएगा, उसके संसाधनों को निशाना बनाएंगे। उनका बर्ताव दोस्ताना ही हो, यह जरूरी नहीं है। हाकिंग की चेतावनी के कई कोण हैं। वह अनेक प्रश्न और प्रतिप्रश्न भी पैदा करती है। हालांकि अभी तक एलियन्स के साथ इंसानों का सीधा संपर्क नहीं हुआ है, लेकिन अन्य ग्रहों पर जीवन है, यह बात अनेक वैज्ञानिकों ने मानी है। अधिकांशत: इस मान्यता का आधार वही दलील है, जो हाकिंग ने दी है। अंतरिक्ष में आकाश गंगाओं, सौरमंडलों, ग्रहों आदि की संख्या का कोई अंत नहीं है। खुद हमारी आकाशगंगा में ही अरबों तारे हैं। ऐसे में यह धारणा स्वाभाविक रूप से पैदा होती है कि धरती ऐसा अकेला ग्रह नहीं होगा, जहां पर किसी न किसी रूप में जीवन मौजूद है। कार्ल सैगन अन्य ग्रहों पर जीवन को बैक्टीरिया के रूप में देखते हैं। कुछ अन्य वैज्ञानिक मानते हैं कि परग्रहीय प्राणी रेंगकर चलने वाले हो सकते हैं, लेकिन इस अनंत ब्रह्मांड में हमारे जैसे या हमसे बेहतर प्राणियों के अस्तित्व की संभावना या आशंका भी उतनी ही मजबूत है।

हमारे अपने सौर मंडल में शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि के चंद्रमाओं (यूरोपा, टाइटन आदि) पर जीवन की थोड़ी-बहुत संभावना जाहिर की जाती रही है। डॉ. फ्रेंक ड्रैक के बहुचर्चित समीकरण के आधार पर देखा जाए तो हमारी आकाशगंगा में ही कम से कम दस हजार ग्रहों पर जीवन के अनुकूल परिस्थितियां मौजूद हैं। उधर, हबल अंतरिक्षीय दूरबीन के अन्वेषण के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया है कि ब्रह्मांड में करीब 125 अरब आकाशगंगाएं हैं। 

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