Wednesday, June 15, 2011

fएक और छलांग, पृथ्वी ने छुआ आसमान


भारत ने गुरुवार को मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक और कामयाबी हासिल कर ली। चांदीपुर समुद्र तट के समीप आइटीआर (अंतरिम परीक्षण परिसर) के एलसी-3 (लांचिंग सेंटर) से सतह से सतह पर मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल का गुरुवार सुबह 9:07 बजे सफल परीक्षण किया गया। मिसाइल ने करीब 10 मीटर की अत्यधिक सटीकता के साथ लक्ष्य साध लिया। पूर्ण रूप से स्वदेशी ज्ञान कौशल से निर्मित यह मिसाइल परमाणु संपन्न पृथ्वी-2 को सैन्य बलों में पहले ही शामिल किया जा चुका है। दो इंजन वाले पृथ्वी-2 मिसाइल की लंबाई 9 मीटर तथा चौड़ाई एक मीटर और वजन 4600 किलोग्राम है। पृथ्वी-2 मिसाइल का यह आठ महीने के भीतर चौथा सफल परीक्षण था। इस मिसाइल की मारक क्षमता 250 से 350 किमी के बीच है। यह 500 से 1000 किलोग्राम वजन का आयुध ले जाने में सक्षम है। नौवाहन प्रणालियों से सुसज्जित यह मिसाइल शत्रु के मिसाइल को चकमा दे सकती है। यह तरल व ठोस दोनों प्रकार के इंधन से संचालित हो सकती है। यह मिसाइल अपने साथ परंपरागत और परमाणु पेलोड दोनों को ही ले जाने में सक्षम है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रवक्ता ने कहा, मिसाइल को यहां से निकट चांदीपुर स्थित समेकित परीक्षण रेंज से सुबह 9:07 बजे दागा गया। ऐसा सशस्त्र बलों के नियमित प्रशिक्षण अभ्यास के तहत किया गया। रक्षा अधिकारी ने कहा कि आज के प्रायोगिक परीक्षण के जरिए मिशन के सभी उद्देश्य हासिल हो गए हैं। पूर्व में किए गए परीक्षणों के दौरान प्राप्त नियमित परिणामों के साथ ही यह मिसाइल सटीकता के उस स्तर पर पहुंच चुकी है जहां कोई चूक होने की आशंका न के बराबर होती है। उन्होंने बताया कि पृथ्वी-2 में किसी भी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल को झांसा देकर निशाना साधने की क्षमता है। वर्ष 2008 में जब इस पर परीक्षण किया गया तब यह 483 सेकेंड की अवधि में 43.5 किलोमीटर की शीर्ष ऊंचाई पर पहुंचने में सफल रही थी। सशस्त्र बलों के परिचालन अभ्यासों के तहत दो पृथ्वी-2 मिसाइलों को 12 अक्टूबर 2009 को कुछ ही मिनटों के अंतराल में एक-एक कर दागा गया था। इन मिसाइलों ने चांदीपुर स्थित समेकित परीक्षण रेंज से 350 किमी की दूरी पर स्थित दो विभिन्न लक्ष्यों को निशाना बनाया। इस मिसाइल का जब साल्वो मोड में 27 मार्च और 18 जून 2010 को चांदीपुर से परीक्षण किया गया तब इसने एक बार फिर अपनी सटीकता साबित की। सूत्रों ने कहा कि आज के प्रायोगिक परीक्षण के दौरान पूरे उड़ान पथ पर आधुनिक राडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक टेलीमेट्री स्टेशनों के जरिए नजर रखी गई। परीक्षण के बाद के विश्लेषण के लिए बंगाल की खाड़ी में मिसाइल के प्रभाव क्षेत्र में नौसना के एक जहाज को तैनात किया गया था। प्रायोगिक परीक्षण के दौरान डीआरडीओ प्रमुख वीके सारस्वत, कार्यक्रम निदेशक वीएलएन राव सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.


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