Tuesday, July 12, 2011

सौर ऊर्जा से जगमगाएंगे देश भर के स्मारक


देशभर के स्मारकों को रात के समय जगमगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) सौर ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) को बढ़ावा देगा। इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए एएसआई गंभीरता से विचार कर रहा था। एएसआइ के दिल्ली मंडल में इस योजना को राष्ट्रमंडल खेलों तक पूरा किया जाना था। मगर किन्हीं कारणों से योजना पिछड़ गई थी। एएसआइ के दिल्ली मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. के के मोहम्मद कहते हैं कि ऊर्जा बचाने और प्रदूषण रोकने के लिए ग्रीन एनर्जी बेहतर विकल्प है। पिछले कुछ माह से योजना आगे नहीं बढ़ पा रही थी। अब फिर से इसे आगे बढ़ाने के लिए गंभीरता से प्रयास किया जा रहा है। बिजली की अत्यधिक खपत और भारी भरकम बिजली के बिलों के भुगतान को देखते एएसआइ ने कुछ साल पहले स्मारकों में सौर ऊर्जा का उत्पन्न कर उसका उपयोग करने की योजना बनाई थी। प्रयोग के तौर पर सबसे पहले कुतुबमीनार में सौर ऊर्जा सिस्टम लगाए जाने की बात कही गई थी। बाद में इसे कुतुबमीनार में न लगाकर जंतर मंतर स्मारक व सफदरजंग में लगाने का फैसला लिया गया। दोनों स्मारकों में सौर ऊर्जा पैनल लगाए गए हैं और बेहतर तरीके के काम कर रहे हैं। योजना को राष्ट्रमंडल खेलों से पहले पूरा करने का लक्ष्य था। मगर विभिन्न पचड़ों के चलते योजना में देरी होती गई। उस समय कुछ पुरातत्वविदें ने सवाल उठाए थे कि इनके लगाए जाने से स्मारकों की अपनी भव्यता प्रभावित होगी। एएसआइ का कहना है कि यह बिल्कुल गलत है कि पैनल लगा दिए जाने से स्मारकों की सुंदरता या भव्यता पर कोई असर पड़ेगा। डा. के.के. मोहम्मद कहते हैं कि एएसआइ के पास तमाम जगह हैं, बड़े पार्क हैं, सौर ऊर्जा पैनल पार्को के किसी भी भाग में लगाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि एएसआइ सरकार की इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प है और इसे आगे बढ़ाया जाएगा


पृष्ठ संख्या 02, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण), 12 जुलाई, 2011

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