Sunday, January 30, 2011

70 रुपये में मिलेगा 4.5 लीटर पेट्रोल!


ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने बनाया कृत्रिम पेट्रोल, पांच साल के भीतर जनता के लिए उपलब्ध होने का दावा
आसमान छू रहे पेट्रोल के दामों को देखते हुए यह खबर बेहद सुकून देने वाली हो सकती है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने क्रांतिकारी सफलता हासिल करते हुए कृत्रिम पेट्रोल बनाने का दावा किया है। उनका कहना है कि इसकी कीमत सामान्य पेट्रोल से बेहद कम होगी और मौजूदा कारों में इसके इस्तेमाल के लिए तकनीक में किसी तरह के परिवर्तन की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। साथ ही इसकी एक विशेषता यह भी होगी कि इससे कार्बन उत्सर्जन बिल्कुल नहीं होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि कृत्रिम पेट्रोल की कीमत मात्र 90 पेंस (करीब एक पौंड) प्रति गैलन होगी। जबकि इस वक्त ब्रिटेन में पेट्रोल की कीमत करीब सवा पौंड प्रति लीटर है। यानी इतने पैसे में एक गैलन से भी ज्यादा पैट्रोल खरीदा जा सकेगा। भारतीय मुद्रा के हिसाब से करीब 70 रुपये में साढ़े चार लीटर पेट्रोल आ जाएगा। यह ईधन हाईड्रोजन आधारित है। मगर आलोचकों का यह भी कहना है कि इसके बड़े पैमाने पर उपलब्ध होने में अभी सालों लग जाएंगे। हाइड्रोजन आधारित होने के कारण यह ग्रीन हाउस गैसों को वातावरण में नहीं छोड़ता है। इसलिए इससे ग्लोबल वार्मिग के खिलाफ भी अहम मदद मिल सकती है। उम्मीद जताई जा रही है कि ब्रिटिश प्रयोगशाला में टॉप सीक्रेट कार्यक्रम के तहत विकसित की गई यह तकनीक आने वाले दिनों में पैट्रोल की परिभाषा ही बदल देगी। भारत की तरह ब्रिटेन में भी पेट्रोल के बढ़ते दामों ने जनता को त्रस्त कर रखा है। इस साल अप्रैल में ब्रिटिश सरकार ने फिर दाम बढ़ाने की घोषणा कर दी है। ऑक्सफोर्ड की रदरफोर्ड एप्पलटन प्रयोगशाला में सेला एनर्जी द्वारा कृत्रिम पेट्रोल विकसित किया गया है। कंपनी का दावा है कि यह पेट्रोल मौजूदा कारों में भी सामान्य तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। सेला एनर्जी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन वोलेर ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि पांच सालों के भीतर यह पेट्रोल बड़े पैमाने पर स्टेशनों पर उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि हम वाहन निर्माता कंपनियों के साथ अगले साल तक इसके परीक्षण की उम्मीद कर रहे हैं। इसके बाद यह तीन से पांच साल के भीतर जनता के लिए उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने बताया कि हम नए माइक्रो बीड्स विकसित कर चुके हैं जिनका इस्तेमाल मौजूदा गैसोलिन या पेट्रोल वाहनों में तेल आधारित ईधन को बदलने में किया जा सकता है। वोलेर ने कहा कि प्रारंभिक संकेत हैं कि इन माइक्रो बीड्स को मौजूदा वाहनों में बगैर इंजन में परिवर्तन किए प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह हाइड्रोजन आधारित है इसलिए इस्तेमाल के समय इससे जरा भी कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा, बिल्कुल इलेक्टि्रक वाहनों की तरह। इस पेटेंट हाइब्रिड में बेहद सूक्ष्म माइक्रो फाइबर हैं, बाल की मोटाई से 30 गुना महीन। ये उत्तक जैसे पदार्थ बनाते हैं जो वातावरण के लिए सुरक्षित हैं। वोलेर ने बताया कि यह ईधन नैनोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बनाया गया है। वैज्ञानिक दल की अगुवाई करने वाले प्रोफेसर स्टीफन बेनिंगटन ने बताया कि हाइड्रोजन कच्चे तेल की आपूर्ति को थामने के लिए एक आदर्श हल है।


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