Monday, January 10, 2011

चंद्रमा का केंद्र धरती के गर्भ सरीखा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने अपने ताजा अध्ययन में पाया है कि चंद्रमा का केंद्र भी पृथ्वी के गर्भ जैसा ही है। अचरज की बात यह है कि यह खोज भी उन्होंने उस भूकंप मापक यंत्र की मदद से की जो करीब 40 साल पहले दुनिया के पहले मानव नील आर्मस्ट्रांग अपने चंद्र अभियान के दौरान चांद पर छोड़ गए थे। 1971 में अमेरिकी अंतरिक्ष यान अपोलो से चांद पर गए अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों ने कुछ भूकंप मापक यंत्र अध्ययन के लिहाज से वहीं छोड़ दिए थे। उन उपकरणों से मिले आंकड़ों पर भूकंप मापक तकनीकें आजमा कर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपने ताजा अध्ययन से पता किया कि चांद पर धरती के गर्भ जैसा ही तरह केंद्र है। अब तक वैज्ञानिकों का मानना था कि चंद्रमा के अंदर का केंद्रीय भाग पूरी तरह से ठोस है और उसमें तरल पदार्थ भी है। अब के अध्ययन से यह साफ हो गया है कि चांद के गर्भ में ठोस लौह धातु है ही साथ ही उसके सबसे आंतरिक भाग में तरल पदार्थ भी है। यह तरल भाग भी लौह तत्व के मिश्रण वाला है। ताजा अध्ययन से पता चला है कि चांद का आंतरिक केंद्र 150 मील की त्रिज्या तक ठोस लौह तत्व है, उसके बाद 205 मील की त्रिज्या पर बाहरी केंद्र में लौह मिश्रित तरल पदार्थ है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि पृथ्वी के चंद्रमा ने अपना एक अलग मजबूत चुंबकीय क्षेत्र बना लिया है। इसमें पृथ्वी के गर्भ से केवल इतना ही अंतर है कि पृथ्वी के केंद्र में लौह की गली हुई धातु 300 मील की त्रिज्या तक है। चंद्रमा के गर्भ में सल्फर जैसे हल्के तत्व की भी थोड़ी मात्रा है। अब अमेरिकी वैज्ञानिक इस अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर चांद की सतह से लेकर उसके गर्भ तक की और जानकारियां हासिल करने के लिए कई अहम रीसर्च करेंगे। इसमें उसकी सतह का बारीकी से अध्ययन और उसका तापीय इतिहास शामिल है।

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