Monday, April 11, 2011

'फ्लाइंग' पनडुब्बी से खुलेंगे समुद्र की गहराइयों के राज


यह बात अक्सर कही जाती है कि जितना ज्यादा हम पृथ्वी से बाहर सौरमंडल के ग्रहों के बारे में जानते हैं, उतना ही कम अपने महासागरों की गहराइयों के बारे में जानते हैं। चांद पर कई लोग उतर चुके हैं लेकिन अभी तक हम महासागर की गहराइयों में 20,000 फीट से ज्यादा दूर तक नहीं जा पाए हैं। सागर की इन गहराइयों में न जाने कितने रहस्य छिपे हैं जिनसे पर्दा उठना बाकी है। शायद इसी बात से प्रेरित हो ब्रिटिश अरबपति रिचार्ड ब्रानसन ने छोटी-सी पनडुब्बी में दुनिया के पांचों महासागरों के सबसे गहरे स्थलों में पहली बार उतरने की योजना बनाई है जिसका उन्होंने हाल ही में खुलासा किया है। वर्जिन ओशनिक नामक यह पनडुब्बी इस साल के अंत में पश्चिमी प्रशांत महासागर के सबसे गहरे स्थल से यात्रा शुरू कर उस क्षेत्र का नक्शा तैयार करेगी और गहराइयों के नमूने लेगी। अभी तक महासागरों की गहरी खाइयों तक रोबोटिक वाहनों के जरिये ही पहुंचा जा सका है। ब्रानसन के मुताबक, 'अंतरिक्ष में तो मनुष्य ने काफी पहले कदम रख लिए हैं, और अब व्यावसायिक अंतरिक्ष पर्यटन की शुरुआत होने वाली है लेकिन अपने ग्रह के महासागरों की गहराइयों तक पहुंचना और उनके बारे में जानना अभी तक भी हमारे लिए अहम चुनौती बनी हुई है।'
इस अभियान में ब्रानसन अमेरिकी सेलर और एक्सप्लोरर क्रिश वेल्श के साथ सह पायलट होंगे। पंख वाली तथा स्पेस शटल के आकार की इस पनडुब्बी के मुख्य पायलट क्रिश ही होंगे। दो वर्षो के अंतराल में यह पनडुब्बी पांच बार महासागरों के सबसे गहरे स्थल में उतरेगी। इन दिनों यह पनडुब्बी महासागरों की गहराइयों में भारी दबाव को झेलने के परीक्षणों के दौर से गुजर रही है। परीक्षण सफल रहा तो चीफ पायलट वेल्श द्वारा इस साल के आखिर तक इसे प्रशांत महासागर के अब तक ज्ञात सबसे गहरे स्थल मैरियाना ट्रेंच में उतारा जाएगा। मैरियाना ट्रेंच की गहराई 10,924 मीटर है। इस पहली यात्रा के 'बैक-अप' पायलट ब्रानसन तब लाल, नीले और सफेद रंग की पनडुब्बी को अटलांटिक महासागर की प्यूटरे रिको खाई में उतारेंगे। अभी तक इसकी खोजबीन नहीं की जा सकी है। इसकी गहराई 8,605 मीटर है। ब्रानसन की पनडुब्बी यदि सफलतापूर्वक मैरियाना ट्रेंच के तल तक पहुंचने में कामयाब हो जाती है तो यह अमेरिकी नेवी की रोबोटिक पनडुब्बी 'ट्रीस्टी' के बाद पहुंचने वाली पहली मानवयुक्त पनडुब्बी होगी। यह पनडुब्बी 23 जनवरी 1960 में यहां पहुंची थी। इसके बाद यहां कोई नहीं पहुंचा। वर्जिन पनडुब्बी अपने 'पंखों' से समुद्र तल पर 10 किलोमीटर तक 'उड़' सकती है और 24 घंटे तक खुद का संचालन करते हुए पहले कभी न देखे गए समुद्री जीवन के चित्र ले सकती है। वेल्श के मुताबिक इस एडवेंचर के खतरे भी कम नहीं है क्योंकि इसे सामान्य से 1,000 गुना ज्यादा वायुमंडलीय दबाव झेलना होगा। यह पनडुब्बी 8,000 पाउंड कार्बन फाइबर की बनी हुई है और चारों ओर देखने के लिए क्वाट्र्ज का गुबंद बना हुआ है। पनडुब्बी पर आया जरा सा भी 'लीक' आदमी को ही नहीं, इस्पात को भी चीरकर रख देगा जिससे मौत निश्चित है। इतनी गहराई पर किसी तरह का बचाव भी संभव नहीं होगा। इस प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक उद्देश्य हैं और इससे समुद्र का अध्ययन करने वाली कई यूनिवर्सिटियां जुड़ी हुई हैं। इस प्रोजेक्ट के बाद 60 वर्षीय ब्रानसन का अगले साल की शुरुआत में वर्जिन गैलेटिक प्रोजेक्ट शुरू हो रहा है जिसके तहत व्यावसायिक अंतरिक्ष पर्यटन की शुरुआत होगी। रिचार्ड ब्रानसन का नया एडवेंचर धरती (महासागर) पर सबसे गहरे स्थल मैरियाना ट्रेंच: 35,840 फीट/10,924 मीटर (प्रशांत महासागर) प्यूटरे रिको ट्रेंच: 28, 374 फीट/8648 मीटर (अटलांटिक महासागर) यूरेसिया बेसिन: 17,881फीट/5450 मीटर (आर्कटिक महासागर) जावा ट्रेंच: 23,376 फीट/ 7125 मीटर (ंिहंद महासागर) सैंडविच ट्रेंच: 23,736फीट/ 7235 मीटर (सदर्न ओशन)

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