Monday, April 4, 2011

पृथ्वी होगी मंदिर सी लाल


 सुर्ख लाल और गर्म ग्रह मंगल हमेशा से ऐसा नहीं था। ताजा वैज्ञानिक अनुमान यही है। इस पर भी सनसनीखेज वैज्ञानिक दावा यह है कि मंगल के लाल रंग का होने की वजह वहां लाखों साल पहले हुआ परमाणु विस्फोट है। यानी अगर जीवनदायिनी धरती पर भी ऐसे ही परमाणु धमाके हुए यह तो यह भी निर्जन और लाल रंग की हो जाएगी। डॉ. जॉन ब्रैंडेनबर्ग का मानना है कि 1800 लाख साल पहले संभवत: किसी ग्रह के टकराने से वहां प्राकृतिक रूप से अत्यधिक भीषण परमाणु विस्फोट हुए जिससे वहां सब कुछ तहस-नहस हो गया। उससे उठे भीषण ताप और झटके से वहां सबकुछ सूखी रेत में तब्दील हो गया। उनका कहना है कि मंगल ग्रह की सतह पर रेडियोएक्टिव पदार्थो की एक पतली परत है। इसमें यूरेनियम, थोरियम और रेडियोएक्टिव पोटैशियम शामिल है। उन्होंने फॉक्स न्यूज को बताया कि इस पदार्थो के साथ ही सतह पर एक जगह लाल धधकता हुआ विशालकाय धब्बा है। उनका मानना है कि यह परमाणु कण इसी धब्बे से ग्रह की पूरी सतह पर फैले हैं। उनका अनुमान है कि किसी परमाणु विस्फोट से उसका सारा मलबा पूरे ग्रह की सतह पर फैल गया होगा। मंगल ग्रह पर गामा किरणों से मिले नक्शे के अनुसार ग्रह पर एक बड़ा लाल धब्बा है। इन गामा किरणों की मदद से पता चलता है कि परमाणु विकिरण का केंद्र यही धब्बा है। आर्बिटल टेक्नोलॉजीस कॉर्प के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ब्रैंडनबर्ग के अनुसार प्राकृतिक परमाणु विस्फोट तकरीबन दस लाख एक मेगाटन हाइड्रोजन बम विस्फोटों के बराबर रहा होगा। यह विस्फोट मंगल ग्रह के उत्तरी मेर एसिडेलियम क्षेत्र में हुआ होगा। इसीलिए यहां पर भारी मात्रा में परमाणु विकिरण देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि इन्हीं धमाकों के कारण इस क्षेत्र में रेडियो तरंगों के थक्के बन गए। जिन्हें कि हाल में नासा के मंगल ग्रह पर गामा किरणें डालकर उसकी परतों के आंकड़े एकत्र करने के दौरान पाया गया। इस रेडियोधर्मिता से यह भी साफ हो जाता है कि मंगल ग्रह लाल रंग का क्यों दिखता है। नासा के एकत्र किए इन आंकड़ों के आधार पर डॉ. ब्रैंडनबर्ग का सिद्धांत यह है कि इस प्राकृतिक परमाणु विस्फोट के चलते ही मंगल ग्रह उजड़ गया और वहां पर मौजूद हर चीज खत्म हो गई। उनका मानना है कि कभी पृथ्वी पर भी ऐसा ही प्राकृतिक परमाणु विस्फोट संभवत: होता तो सबकुछ खत्म हो जाता। यानी पृथ्वी भी मंगल ग्रह जैसी वीरान और लाल रंग की हो जाएगी। नासा के जेट प्रोपुलजन के मंगल ग्रह कार्यक्रम के साइंस मैनेजर डॉ. डेविड बेटी का कहना है कि यह अवधारणा बहुत ही तार्किक है कि लेकिन पुख्ता वैज्ञानिक आधार के लिए मंगल ग्रह के मेर एसिडेलियम क्षेत्र में एक अभियान भेजना होगा। पहली बार वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना ढूं्ढने के बजाय वहां पर हुए विनाश की थ्योरी पर काम किया है। हो सकता है इससे ही जीवन के संकेत भी साफ हो सकें|

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