Monday, April 11, 2011

अब चांद पर खनन की तैयारी!


कंपनियां अब धरती के साथ-साथ चांद पर भी कारोबार के लिए संभावनाएं तलाश रही हैं। इसी कड़ी में भारतीय मूल के एक कारोबारी की ओर से स्थापित कंपनी ने चंद्रमा पर खनन की योजना बनाई है और इसके लिए एक विशेष रोबोट का निर्माण किया जा रहा है, जो इस उपग्रह पर संभावित खनिज पदार्थो का पता लगाएगा। मून एक्स नामक इस कंपनी की बुनियाद भारतीय मूल के कारोबारी नवीन जैन ने रखी थी। वह नासा के एमेस रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर रोबोट का निर्माण कर रही है। समाचार पत्र लॉस एंजिल्स टाइम्स के मुताबिक जैन ने कहा, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि चांद पर खनिज संपदा है, हालांकि मून एक्स का मानना है कि वहां सोने की खदान हो सकती है। उन्होंने कहा, एक कारोबारी के नजरिए से देखें तो चंद्रमा पर मौजूद संसाधानों को लेकर कभी सही ढंग से पड़ताल नहीं की गई। हमारा मानना है कि वहां ऐसे संसाधन हो सकते हैं, जो पृथ्वी और पूरी मानवता के लिए फायदेमंद हों। खबर में लिखा गया है कि मून एक्स की मशीनों को ऐसे खनिज ढूंढ़ने के लिए डिजाइन किया गया है जो धरती पर तो कम मात्रा में हैं मगर क्रूज मिसाइल से लेकर कार बैटरी तक सब जगह पाए जाते हैं। जैन ने कहा, मून एक्स को वर्ष 2013 तक चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए तैयार रहना चाहिए। वहां सबसे पहले पहंुचना हमारा लक्ष्य है। मून एक्स में नासा के पूर्व इंजीनियरों सहित कुल 25 लोग काम करते हैं। कंपनी को नासा से एक करोड़ डॉलर का ठेका मिला है। यह कंपनी कई अन्य कंपनियों के साथ गूगल ल्यूनर एक्स पुरस्कार जीतने की होड़ में है। तीन करोड़ इनामी राशि वाली इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए चंद्रमा की सतह पर सबसे पहले अपने रोबोट को उतारना होगा। यह रोबोट कम से कम एक मील के एक तिहाई हिस्से तक खनन में सक्षम होना चाहिए और 2016 से पहले उच्च्च गुणवत्ता वाले वीडियो और तस्वीरों को धरती पर भेज दे। जैन ने कहा कि निजी खर्चे पर चांद पर खनन के लिए संसाधन जुटाना ज्यादा चिंता की बात नहीं हैं। उन्होंने कहा, मैं यह भी सोचता हूं कि हमारे महासागरों के जल की तरह ही चंद्रमा के साथ भी भिन्न बर्ताव नहीं किया जाएगा। ऐसे मामले में, जल पर किसी का अधिकार नहीं होता मगर कोई भी कंपनी या देश कुछ निश्चित सुरक्षा या नैतिक दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय जल से संसाधनों का खनन कर सकता है|

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