Monday, April 18, 2011

क्यूरियोसिटी करेगा अब तक की मंगल की सबसे बड़ी पड़ताल


पिछली कुछ सदियों से सौरमंडल के जिस ग्रह ने धरती पर सबसे ज्यादा दिलचस्पी जगाई है, वह है हमारा पड़ोसी ग्रह मंगल कुछ दशक पहले तक भी लोगों का प्रबल विश्वास था (कुछ हद तक अब भी) कि पृथ्वी की तरह वहां भी कोई विकसित सभ्यता हो सकती है। 1965 में मंगल के पास से गुजरे नासा के अंतरिक्षयान वॉयजर ने इसके चित्र भेजे तो इस 'लाल ग्रह' के बारे में कई नई बातें सामने आई कि पृथ्वी से मिलता-जुलता यह ग्रह वास्तव में उससे कितना भिन्न है और उसके बारे में जानकारियां जुटाना बेहद चुनौती भरा काम है। इस क्रम में पिछले पांच दशकों से मंगल को खंगालने का काम जारी है लेकिन मंगल से जुड़े अभियानों पर अरबों डालर खर्च करने के बाद भी अब तक हम यह नहीं जान पाए हैं कि क्या मंगल पर कभी जीवन था, यदि था तो कैसा था और क्यों विलुप्त हुआ? इसी तरह, क्या मंगल के हिमाच्छादित ध्रुवों और सतह के नीचे सूक्ष्मजीवियों का अस्तित्व है? सौरमंडल की शुरुआती पड़ताल के अभियान मंगल ग्रह के पास से गुजरते हुए अंतरिक्षयानों द्वारा उसके फोटो लेने तक सीमित थे। जैसे-जैसे तकनीकी क्षमताएं बढ़ती गई, अंतरिक्षयानों को मंगल की कक्षा में भेजना संभव हुआ जिससे वे उसके चारों ओर घूमते हुए उसकी जानकारी जुटाने लगे। तकनीकी क्षमताएं और बढ़ीं तो मंगल की सतह पर लैंडर और रोबर्स को उतारना संभव हो गया। इतना ही नहीं, वहां उतारे गए रोबोटिक यानों को सतह पर घुमाना और जानकारियां जुटाने में कामयाबी मिलने लगी। मंगल पर रोबोटिक यान उतारने की इस कड़ी में अब तक के तमाम रिकार्ड तोड़ने को तैयार है 2.3 अरब डॉलर की लागत वाला क्यूरियोसिटी नामक रोबर, जिसे इन दिनों नासा के वैज्ञानिक और इंजीनियरअंतिम रूप देने में जुटे हैं। क्यूरियोसिटी को इस साल के अंत में नवम्बर और दिसम्बर के बीच मंगल के लिए रवाना किया जाएगा। यह अगले साल के मध्य तक मंगल ग्रह पर पहुंचेगा। मंगल पर अब तक भेजे गए रोवर्स जैसे कि सोजोर्नर, स्पिरिट, अपॉच्युर्निटी की तुलना में इसके कार्य एकदम अलग और बेहद जानकारी पूर्ण होंगे।

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