Friday, March 4, 2011

तो सस्ते दामों पर खूब मिलेगा डीजल!


वैज्ञानिकों की मानें तो इसे दुनिया में पेट्रो पदार्थो की कमी के संभावित हल के तौर पर देखा जा सकता है। उन्होंने अनुवांशिक रूप से परिवर्तित (जीएम) ऐसे जीव (ऑर्गेनिज्म) के विकास का दावा किया है जिसे सूर्य की रोशनी, जल और कार्बन डाईऑक्साइड के संपर्क में लाया जाता है तो वह डीजल जैसा ईधन स्रावित करता है। इस आधार पर बॉयोटेक्नोलॉजी कंपनी जोउल अनलिमेटेड ने दावा किया है कि वे बेहद कम दामों पर डीजल और इथेनॉल का उत्पादन कर सकते हैं। कैंब्रिज स्थित कंपनी ने अपनी अभूतपूर्व खोज को ईधन की स्वतंत्रता के तौर पर बयान किया है। डेली मेल की खबर के अनुसार, कंपनी का कहना है कि अब वह दुनिया के सबसे सस्ते जीवाश्म ईधन के बराबर कीमत वाले कृत्रिम डीजल को बना सकते हैं। जोउल ने यह भी दावा किया कि उनकी तकनीक से ऐसे ईधन को भी बनाया जा सकता है जिसका इस्तेमाल जेट इंजन में हो सके। जोउल के मुख्य कार्यकारी बिल सिम्स ने कहा कि हमने कुछ शानदार दावे किए हैं, इन सभी पर हमारा विश्वास है, सभी को हम मान्यता दे चुके हैं। ये सभी निवेशकों को दिखाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम आधे भी सही हैं तो यह दुनिया की सबसे बड़ी इंडस्ट्री में क्रांति ला देगा, जो तेल और गैस इंडस्ट्री है। अगर हम पूरे सही हुए तो ऐसा कोई कारण नहीं है जो यह तकनीक दुनिया को नहीं बदल सकती। कंपनी के अनुसार, जीव को सूर्य की रोशनी और कार्बन डाईऑक्साइड लेने वाला बनाया गया है, जिसके बाद यह ईथेनॉल या हाइड्रोकार्बन स्रावित करता है। यह डीजल जैस विभिन्न ईधनों का मूल तत्व होता है। हालांकि इन दावों को लेकर कई संशय भी जता चुके हैं। यूएस नेशनल रिन्युएबल एनर्जी लेबोरेटरी के वैज्ञानिक फिलिप पिनकॉस ने कहा कि जोउल तकनीक रोचक है मगर सिद्ध नहीं की गई है और उनकी कार्यक्षमता के दावों को कुछ दिक्कतें कमजोर बनाती हैं क्योंकि वे स्रावित ईधन को सिर्फ एकत्रित कर सकते हैं। विस्कोंसिन मेडिसन यूनिवर्सिटी में बायोएनर्जी रिसर्च सेंटर के निदेशक टिमोथी डोनोहु का कहना है कि जोउल को बड़े पैमाने पर अपनी तकनीक का प्रदर्शन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शायद यह काम कर जाए मगर सिर्फ एक वाक्य इसके बीच में अवरोध है, क्या यह काम करेगा? उन्होंने कहा कि इस बारे में कई अच्छे प्रयोग सामने आए हैं मगर बड़े पैमाने पर वह असफल हो गए। जोउल की स्थापना 2007 में हुए थी। कुछ सालों में इसने काफी गोपनीय तरीके से काम किया है। हाल ही में उसने खुलासा किया था कि वह क्या कर रहा है, इसमें सायनोबैक्टिरियम को पेटेंट कराना भी शामिल था। सौर ऊर्जा से ईधन के निर्माण का काम कई दशकों से चल रहा है, जैसे मक्का से ईथेनॉल बनाना या कवक से ईधन निकालना|

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