Tuesday, March 8, 2011

हार्टअटैक का पता पहले ही


जल्द ही उन लोगों की पहचान संभव हो सकेगी जिन्हें भविष्य में दिल का दौरा पड़ सकता है। भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में अनुसंधानकर्ताओं ने दर्जन भर से अधिक ऐसे जीनों की पहचान की है जिनका संबंध दिल की बीमारी से है। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के प्रोफेसर निलेश समानी की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने दिल के दौरे की आशंका वाले लोगों के डीएनए में खामी का पता लगाने के लिए 140,000 लोगों की जीन संरचना का अध्ययन किया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने हृदय की बीमारी से संबंध रखने वाले 13 नए जीनों की पहचान की। यह संख्या अब तक हृदयाघात से जुड़े ज्ञात जीनों की संख्या से दोगुनी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि उनकी यह खोज हृदयाघात का नया इलाज खोजने में मददगार हो सकती है और उन लोगों का पता लगाने में भी कारगर हो सकती है जिन्हें भविष्य में दिल के दौरे की आशंका हो। प्रोफेसर समानी का कहना है कि चिह्नित किए गए ज्यादातर जीनों के बारे में यह जानकारी नहीं थी कि इनका संबंध कोरोनरी धमनी की समस्या से है जो कि हृदयाघात का मुख्य कारण है। डेली टेलीग्राफ में उनके हवाले से कहा गया है, अब हम अध्ययन करेंगे कि ये जीन कैसे काम करते हैं। निश्चित रूप से तब हम पता लगा सकेंगे कि यह बीमारी कैसे होती है और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है। इस अध्ययन में अमेरिका, यूरोप, आइलैंड, ब्रिटेन और कनाडा के 167 चिकित्सक और वैज्ञानिक शामिल थे। उन्होंने लोगों के जनेटिक कोड का अध्ययन किया ताकि वह डीएनए में उन विभिन्नताओं का पता लगा सकें जो कोरोनरी धमनी से संबंधित दिल की बीमारी वाले लोगों में पाई जाती हैं। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के प्रोफेसर पीटर वीसबर्ग ने कहा कि जितने बड़े पैमाने पर जनेटिक अध्ययन होता गया हमने उन जीनों की पहचान शुरू कर दी जो दिल की बीमारी के विकास में काफी बड़ी या छोटी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि हर नए जीन की पहचान के साथ हम कार्डियोवेस्कुलर बीमारी के विकास की जैविक प्रणालियों और उसके नए संभावित इलाज को समझने के करीब आते गए। रोचक बात यह रही कि 13 नए जीन क्षेत्रों में सिर्फ तीन ही कोरोनरी बीमारी से संबंधित थे। ये खतरे के आम कारकों जैसे कोलेस्ट्रॉल के उच्च्च स्तर, रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान और मोटापे से जुड़े हुए थे। यह अध्ययन नेचर जनेटिक्स जर्नल के ताजे अंक में प्रकाशित किया गया है|

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