Monday, March 28, 2011

दिल की बिन चीरा सर्जरी


भारतीय मूल के एक डॉक्टर के नेतृत्व में ब्रिटेन के चिकित्सकों के दल ने एक नई तरह की हार्ट सर्जरी करने में सफलता हासिल की है। यह पद्धति ओपन हार्ट सर्जरी कराने में अक्षम मरीजों के लिए जीने की एक नई आस है। इस ऑपरेशन से मरीज के शरीर में एक छोटे से छेद के जरिये उसके हार्ट वॉल्व को बदला जा सकता है। और यह चमत्कार बस एक घंटे में हो जाएगा। इस पद्धति को ट्रांसकैथेटेरोएर्टिक वॉल्व इंप्लान्टेशन (टीवीएआइ) नाम दिया गया है। दल का नेतृत्व कर रहे गाय्ज एंड सेंट थॉमस हॉस्पिटल के डॉक्टर विनायक बापट के हवाले से डेली मेल ने कहा, टीवीएआइ उन मरीजों के लिए वरदान है, जो गंभीर रूप से बीमार और कमजोर होने के कारण हार्ट सर्जरी कराने में अक्षम है। यह पद्धति काफी सस्ती और सरल है, जिसमें मरीज के सीने या जांघ में एक छोटा सा चीरा लगा कर हार्ट वॉल्व को बदला जा सकता है। टीवीएआइ के इस ऑपरेशन के बाद मरीज चार से छह दिनों में घर वापस जा सकता है जबकि ओपन हार्ट सर्जरी के बाद मरीज को दस दिन तक अस्पताल में बिताना पड़ते हैं। पैपवर्थ अस्पताल में इस पद्धति से इलाज कराने वाले यूरोप के पहले व्यक्ति 54 वर्षीय जॉन क्रोनिन ने कहा, टीवीएआइ ने मेरी जान बचा दी। पहले मैं छोटे से छोटा काम करने में बुरी तरह से हांफ जाता था, लेकिन अब मैं आसानी से साइकिल भी चला पाता हूं। एरोटिक स्टेनोसिस नामक दिल के वाल्व को बंद करने वाली यह बीमारी काफी आम है। यह कई दफा बचपन से ही दिल में गतिरोध होने के बावजूद बुढ़ापे में उभरती है। हृदय के प्रमुख एरेटिक वाल्व में कैल्शियम बनने से यह उत्पन्न होती है जिससे दिल में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। अब तक बाईपास सर्जरी के जरिए मरीज के सीने में चीरा लगाकर उसके दिल को एक बाईपास मशीन पर सेट कर दिया जाता है और उस दौरान खराब हो चुका एरोटिक वाल्व बदल दिया जाता है। हालांकि नई पद्धति में मरीज की जांघ या दिल में एक नन्हा से छेद करके एक बहुत बारीक स्टेनलेस स्टील की पत्ती डाली जाती है। इसके सिरे पर गाय के दिल के ऊतक लगे होते हैं। इसके दूसरे सिरे पर एक गुब्बारा होता है। यह गुब्बारा एक तरह से वाल्व का काम करता है। गाय का यह ऊतक बहुत नरम होता है जो मृत गाय के दिल से तुरंत निकालकर मरीज के इस ऑपरेशन में इस्तेमाल होता है|

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