Friday, March 18, 2011

रक्त प्रवाह में बाधा नहीं बनेगा थक्का


 ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाले प्रोटीन का पता लगाया है जो थ्रोम्बोसिस के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाता है। थ्रोम्बोसिस रक्त के थक्के की एक किस्म है जो हृदयाघात और स्ट्रोक का कारण बना सकती है। थ्रोम्बोसिस बनने में एलएक्सआर प्रोटीन की भूमिका को समझने में कामयाबी मिलने से इसके बेहतर इलाज का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इससे हर साल हजारों लोगों की जान बचाई जा सकेगी। अनुसंधान दल के प्रमुख रीडिंग यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्कुलर एंड मेटाबोलिक रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर जॉन गिबन्स का कहना है कि रक्तस्राव रोकने के लिए खून का जमना जरूरी होता है मगर रक्त प्रवाह में खून का जमना एक बीमारी है जो थ्रोम्बोसिस के नाम से जानी जाती है। इससे लोगों को हृदयाघात और स्ट्रोक भी हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, एलएक्सआर प्रोटीन को नियंत्रित करने वाली दवाएं बनाकर वैज्ञानिक थ्रोम्बोसिस को रोकने में कामयाब हो सकते हैं और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रित कर सकते हैं। ब्लड जर्नल में शोध का विवरण देने वाले शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे हृदय और सर्कुलेटरी बीमारियों से लड़ने में मदद मिल सकेगी। ब्रिटेन में इन बीमारियों के कारण हर साल तकरीबन 1.91 लाख लोग मर जाते हैं। यह पहले से ही मालूम है कि प्रोटीन रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है, जिसके कारण रक्त शिराएं संकरी हो सकती हैं और हृदयाघात या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। मगर शोधकर्ताओं ने पाया है कि एलएक्सआर भी रक्त कोशिकाओं जिन्हें प्लेटलेट्स कहते हैं, की क्रियाविधि को रोकता है। जिससे रक्त का थक्का बन जाता है। यह स्थिति हृदयाघात को उकसा सकती है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने प्रयोगात्मक दवाओं के साथ चूहे में प्रोटीन पर निशाना साधा। उन्होंने पाया कि इलाज के दौरान छोटे रक्त के थक्के तो बने मगर जल्दी ही इनके निर्माण को तेजी से रोक दिया गया। जिससे रक्त शिराओं को ब्लॉक होने से बचाया जा सका और हृदयाघात होने की संभावना को भी रोक दिया|

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