वैज्ञानिकों ने जारी किए दुबारा इस्ते माल किए जा सकने वाले एकदम नए किस्म के स्पेसप्लेन के चित्र
हाल ही में नासा के शटल यान डिस्कवरी ने आखिरी बार अपनी अंतरिक्ष यात्रा पूरी की। इसी के साथ उसका 27 वर्षो का शानदार सफर समाप्त हो गया। डिस्कवरी समेत इस साल नासा इंडेवर और अटलांटिस नामक शटल यानों को भी रिटायर कर रहा है। इसी के साथ शटल यानों के एक युग का समापन हो जाएगा। उपग्रहों और वेधशालाओं (जैसे कि हबल) और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक तमाम साजोसामान,अनुसंधान सामग्री और अंतरिक्षयात्रियों को ले जाने-लाने में इन शटल यानों की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नासा के बेड़े में अब केवल दो शटल यान ही सक्रिय भूमिका निभाएंगे जो कि अंतरिक्षीय गतिविधियों को जारी रखने के लिए काफी नहीं होंगे। इसी के मद्देनजर पिछले दिनों ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दुबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले एकदम नए किस्म के स्पेसप्लेन के चित्रों को जारी किया है। उनका कहना है कि ये न सिर्फ शटल यानों से बेहतर होंगे बल्कि अंतरिक्ष पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर भी पहुंचाएंगे। स्काईलोन नामक ये यान बिना पायलट के होंगे। इनका निर्माण ब्रिटेन की रिएक्शन इंजन्स कर रही है। ये यान आने वाले वर्षो में बाह्य अंतरिक्ष में सस्ती और विश्वसनीय यात्रा सुलभ कराएंगे। इंजीनियरों को उम्मीद है कि स्काईलोन कुछ ही वर्षो में डिस्कवरी की जगह ले लेगा। नए विकसित किए जा रहे अंतरिक्षयान परंपरागत शटल यानों से एकदम भिन्न और लंबे होंगे। इनकी लंबाई 90 मीटर होगी। इसका इंजन हाइड़ोजन ईधन से संचालित होगा जिसका डिजाइन कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर एलन बांड ने किया है। शुरुआत में इसका मुख्य उद्देश्य उपग्रहों को अंतरिक्ष में लांच करना था लेकिन अब इसे इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि यह 30 से 40 यात्रियों को भी साथ ले जाएगा। इसके साथ ही यह अंतरिक्ष पर्यटन में नए युग के द्वार खोल देगा। कंपनी के विशेषज्ञों के मुताबिक इसका निर्माण अभी शुरुआती दौर में है और सामान्य ब्रिटिश नागरिकों को इसकी यात्रा करने के लिए अभी 10 साल और इंतजार करना होगा। रिएक्शन इंजन्स लिमिटेड के प्रोग्राम डायरेक्टर के अनुसार, इसका इंजन हवा के साथ हाइड्रोजन जलाकर शुरू होता है और द्रव ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन जलाने के साथ बंद होता है, जैसा कि शटल इंजन में होता है। यही वह वजह है जो नासा तथा यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के यानों को पीछे छोड़ देता है क्योंकि उन्हें कक्षा में आगे बढ़ने के लिए डिस्पोजेबल और महंगे ईधन की जरूरत होती है। स्काईलोन के निर्माण पर करीब छह अरब पौंड की लागत आएगी।
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