Monday, March 7, 2011

नासा के वैज्ञानिक ने किया दूसरे ग्रह का प्राणी खोजने का दावा


पृथ्वी के दूरस्थ इलाकों में गिरे उल्कापिंडों में मिले छोटे-से जीवाश्मीकृत बैक्टीरिया के 10 वर्षो के अध्ययन के बाद किया गया खु लासा दुनिया के 5000 वैज्ञानिकों और 100 विशेषज्ञों को इस शोध का विश्लेषण करने के लिए किया गया है आमंत्रित
लंदन। नासा के एक वैज्ञानिक का दावा है कि उसने परग्रही जीवन यानी एलियन का पता लगा लिया है और इस खोज से मालूम किया जा सकता है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई। इस तरह का असाधारण दावा किया है डॉ. र्रिचड हूवर ने जो कि नासा के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर में एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट हैं। डॉ. र्रिचड हूवर ने यह खुलासा पृथ्वी के दूरस्थ इलाकों में गिरे उल्कापिंडों में मिले छोटे-से जीवाश्मीकृत बैक्टीरिया के 10 वर्षो के अध्ययन के बाद किया। डॉ.हूवर ने चुनौती देते हुए घोषणा की है कि दुनिया का कोई भी बैज्ञानिक इसकी जांच करे और उसे गलत साबित करके दिखाए। उन्होंने बताया कि अंटार्कटिका, साइबेरिया और अलास्का की यात्रा के दौरान उन्होंने अत्यंत दुर्लभ उल्कापिंड ‘सीआई1 काबरेनेशियस कोन्ड्राइट्स’ का अध्ययन किया। समझा जाता है कि पृथ्वी पर ऐसे केवल नौ उल्कापिंड ही हैं। उन्होंने कहा ‘ऐसा संकेत मिलता है कि जीवन केवल पृथ्वी तक ही सीमित नहीं है।’
शक्तिशाली सूक्ष्मदर्शी से जीवाश्म की जांच-परख करने वाले डॉ. हूवर ने कहा, ‘मैंने अब तक बैक्टीरिया के तरह-तरह के जीवाश्म देखे हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जो पृथ्वी पर पाए जाने वाली प्रजातियों से बेहद मिलते- जुलते हैं लेकिन कुछ एकदम अलग, यानी जो इस दुनिया के हैं ही नहीं।’ डॉ. हूबर का का कहना है कि ब्रह्मांड में जीवन के बीज उल्कापिंडों के जरिए फैलते होंगे और पृथ्वी पर जीवन किसी क्षुद्रग्रह के टकराने के दौरान किसी बैक्टीरिया के माध्यम से ही आया होगा। उन्होंने ‘फॉक्स न्यूज’ से कहा ‘कुछ ऐसे बैक्टीरिया भी हैं जो बिल्कुल अलग हैं और उनकी तरह नहीं दिखते जिन्हें हम पहचान सकते हैं। मैंने उन्हें कई अन्य विशेषज्ञों को दिखाया और उनकी राय भी ऐसी ही थी।’ डॉ. हूवर प्रत्येक उल्कापिंड के पत्थर संग्रह कर उन्हें प्रयोगशाला में ले जाते हैं और वहां तोड़ कर उनके जीवाश्मों का अध्ययन करते हैं। इसी सिलसिले में स्कैनिंग करते हुए उन्होंने एक जैविक अवशेष पाया जिसमें नाइट्रोजन नहीं थी। अब तक माना जाता है कि सभी जीवित प्राणियों में नाइट्रोजन पाई जाती है। यह शोध कॉस्मोलॉजी जर्नल के मार्च संस्करण में प्रकाशित हुआ है जिसने दुनिया के 5000 वैज्ञानिकों और 100 विशेषज्ञों को इस शोध का विश्लेषण करने के लिए आमंत्रित किया है।

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