Monday, February 28, 2011

अध्ययन की बलि नहीं चढ़ेंगे जीव-जंतु


वैज्ञानिकों ने मलेरिया के अध्ययन के लिए एक नया तरीका खोजा है जिसमें परीक्षणों के लिए जीव-जंतुओं की जरूरत नहीं होगी। सिडनी विश्वविद्यालय में प्रो. जार्ज ग्रेउ की अगुवाई में एक टीम ने अध्ययन के लिए एक ऐसा मॉडल निकाला है जिसमें पारंपरिक तरीके की जरूरत नहीं होगी। पारंपरिक तरीके में मलेरिया परजीवी के लिए चूहों को टीका लगाया जाता रहा है। जीव-जंतुओं पर परीक्षण करने के स्थान पर प्रो. गे्रउ की अगुवाई में टीम ने मानव कोशिकाओं का इस्तेमाल किया। अमेरिका और यूरोप में भी अध्ययनकर्ता उनकी प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे हैं। कई अन्य बीमारियों के अध्ययन में भी इस प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है। सेरीब्रल मलेरिया के एक खास पहलू, विशेषतौर पर मस्तिष्क की रक्त कोशिकाओं में क्षति, पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रो. ग्रेउ जानवरों के बिना परीक्षण में सक्षम हो सके और मंजूरी के बाद मानव कोशिकाओं का इस्तेमाल कर सके। अमेरिका और यूरोप में शोधकर्ताओं ने उनके तरीके को हाथों-हाथ लिया है और मैनिनजाइटिस, वायरल एंसिफेलाइटिस समेत दिमाग की अन्य बीमारियों पर नए तरीके से अध्ययन करना शुरू कर दिया है। लेबोरेटरी एनिमल सर्विस के निदेशक डॉ. मैल्कॉम फ्रांस ने कहा कि यूनिवर्सिटी में जानवरों के बगैर परीक्षण तरीकों के मजबूत इतिहास के प्रति यह एक प्रतिक्रिया है। उन्होंने कहा कि शोध में बगैर जानवरों के विकल्प वाले तरीकों पर विचार की महत्ता अत्यंत महत्वपूर्ण है|

No comments:

Post a Comment