Thursday, February 10, 2011

दिमाग को बुढ़ापे से बचाने पर काम शुरू


मस्तिष्क एक-दूसरे से गहराई से जुड़े एक छोटे से वि नेटवर्क के रूप में है न कि अलग-अलग क्षेत्रों के संग्रह के रूप में
वाशिंगटन (एजेंसी)। वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया है कि मानव मस्तिष्क के काम करने की गति को सही बनाये रखने के लिए संयोजन प्रक्रि या काफी अहम है और बुढ़ापे के साथ इस प्रक्रि या में गिरावट आने लगती है। इस खोज के साथ ही बुढ़ापे में मस्तिष्क में होने वाले इस क्षय के उपचार की उम्मीदें बढ़ गई हैं। न्यू साउथ वेल्स के भारतीय मूल के वैज्ञानिक परमिंदर सचदेव और उनके सहकर्मियों ने पाया कि मस्तिष्क एक-दूसरे से गहराई से जुड़े एक छोटे से वि नेटवर्क के रूप में है न कि अलग-अलग क्षेत्रों के संग्रह के रूप में, जैसा कि पहले माना जाता था। पत्रिका न्यूरो साइंसने खबर दी है कि वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान में मानव मस्तिष्क के नाड़ी तंत्र का नक्शा लिया और इससे होने वाले सूचना संचार तथा भाषा जैसे विशिष्ट कायरे को परिभाषित किया। वे अब इस बात का पता लगा रहे हैं कि कौन से कारक इन तंत्रों की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। वैज्ञानिक इस उम्मीद के साथ ऐसा कर रहे हैं कि इससे बढ़ती आयु में होने वाले क्षरण को रोका जा सकेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में इस क्षरण को रोक कर बुढ़ापे में मानसिक स्थिति को काबू किया जा सकेगा। प्रोफेसर सचदेव ने कहा कि मस्तिष्क के खास हिस्से विशेष कायरे के लिए महत्वपूर्ण हैं लेकिन साथ ही मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में आपसी और एक हिस्से से दूसरे हिस्से के बीच सूचना का संचार भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम सब जानते हैं कि जब सड़क या फोन नेटवर्क अवरुद्ध हो जाता है तो क्या होता है। बिल्कुल ऐसा ही मस्तिष्क के मामले में होता है। उन्होंने कहा कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ मस्तिष्क के नेटवर्क की क्षमता में गिरावट आने लगती है। इससे मस्तिष्क में सूचना संचार की गति धीमी पड़ जाती है जो अन्य संज्ञानात्मक पण्राली को प्रभावित कर सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि नई एमआरआई प्रौद्योगिकी के आगमन और आकलन क्षमता ने तंत्रिका समूह के बेहतर नक्शे लेने में मदद की है। इसके फलस्वरूप वैज्ञानिक दिमाग का अध्ययन सही ढंग से कर सकते हैं। सचदेव ने कहा कि पहले मस्तिष्क का अध्ययन करते समय विशेष क्षेत्रों में पाए जाने वाले स्लेटी हिस्से पर ध्यान केंद्रित किया जाता था क्योंकि अध्ययन करने वालोें का मानना था कि यह वह हिस्सा है जहां गतिविधि होती है। सफेद हिस्से पर ध्यान नहीं दिया जाता था। लेकिन यह वह पदार्थ है जो मस्तिष्क के एक क्षेत्र को दूसरे से जोड़ता है और इस जुड़ाव के बिना स्लेटी पदार्थ बेकार है। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में 342 स्वस्थ लोगों का एमआरआई किया जिनकी उम्र 72 से 92 साल के बीच थी। इसके लिए उन्होंने नक्शे लेने की नई तकनीक डिफ्यूजन टेंसर इमेजिंग’ (डीटीआई) का इस्तेमाल किया।


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