Monday, February 14, 2011

नासा ने इसरो से कहा, चंद्र अभियान में बनें साझीदार


अमेरिका ने इसरो से प्रतिबंध हटाने के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की एक शीर्ष प्रयोगशाला ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को एक ऐसे चंद्र अभियान में साझीदार बनने का प्रस्ताव दिया है जिसका मकसद चांद की सतह से एक किलोग्राम चट्टान लाना है। मंगल एवं शुक्र ग्रहों पर अभियान भेजने वाले जेट प्रॉपल्शन लैबोरेट्री (जेपीएल) की च्च्छा है कि इसरो चांद के निकट एक उपग्रह स्थापित करे जो इसके ल्यूनर लैंडर प्रोब और धरती के बीच तार का काम करेगा। इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्ण ने कहा यह मिशन चंद्रयान-एक मिशन के समान ही होगा। जेपीएल ने इसरो से चांद के पास एक उपग्रह स्थापित करने को कहा है। अंतरिक्ष संबंधी मामलों की नीति बनाने वाली सर्वोच्च इकाई अंतरिक्ष आयोग ने जेपीएल के साथ साझेदारी के लिए हरी झंडी दिखा दी है। जेपीएल और इसरो जिस परियोजना के लिए मिलकर काम करेंगे उसका नाम मून राइज होगा। मून राइज परियोजना नासा द्वारा 2009 में घोषित न्यू फ्रंटियर्स प्रोग्राम के तहत शुरू की जा सकती है। परियोजना के हिस्से के तौर पर जेपीएल चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर एक बेसिन में रोबोटिक लैंडर गिराने की योजना बना रहा है ताकि अध्ययन के लिए चांद पर मौजूद चट्टानों को धरती पर भेजा जा सके। मिशन 2016 में शुरू किया जा सकता है। 400-500 किलोग्राम के उपग्रह का जीवन पांच साल तक हो, इसकी योजना बनाई जा रही है और यह इसरो के कुछ वैज्ञानिक प्रयोगों को भी ले जाने में सक्षम हो। यह प्रस्ताव अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे के दौरान की गई उस घोषणा का परिणाम है जिसमें उन्होंने भारत-अमेरिकी सहयोग की बात कही थी।


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