सौर मंडल का नौवां और सबसे अंतिम ग्रह प्लूटो एक अद्भुत ग्रह है जिसका एक साल धरती के 248 सालों के बराबर होता है। यह आकार में काफी छोटा है। सूर्य से लगभग छह अरब किलोमीटर दूर स्थित इस ग्रह की खोज 18 फरवरी 1930 को खगोल विज्ञानी क्लाइड थॉमबाग द्वारा की गई थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि 1930 से पहले सौर मंडल में ऐसे किसी ग्रह की कल्पना तो थी, लेकिन उसकी पुष्टि के पर्याप्त आधार नहीं थे। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से संबद्ध भौतिक शास्त्री आरवी कौशल के अनुसार प्लूटो सौर मंडल का एक अहम हिस्सा है और इसका एक साल धरती के 248 सालों के बराबर होता है। प्रत्येक ग्रह पर दिन, महीने और वर्ष की अवधि अलग-अलग होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सूर्य का भ्रमण करने की हर ग्रह की गति अलग-अलग है। कौशल ने कहा कि थॉमबाग ने विज्ञान को प्लूटो के रूप में अनोखा तोहफा दिया और सौरमंडल में एक अतिरिक्त ग्रह का अस्तित्व स्थापित कर दिया। भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर जगदीश सिंह के अनुसार हाल के दिनों में प्लूटो में कुछ बदलाव देखने को मिल रहे हैं जिनका दुनिया भर के वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं। प्लूटो, बुध, शुक्र, धरती और मंगल छोटे ग्रहों की श्रेणी में आते हैं, जबकि बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून बड़े ग्रहों की श्रेणी में शुमार हैं। सिंह के अनुसार प्लूटो का नाम अंधकार के रोमन देवता के नाम पर आधारित है। क्योंकि इस ग्रह पर हमेशा अंधकार छाया रहता है इसलिए इसका नाम अंधकार के देवता प्लूटो के नाम पर रख दिया गया।
उत्तम प्रस्तुति...
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