Friday, February 25, 2011

चंद्रमा पर मिली रहने लायक जगह


भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है जो आने वाले समय में अंतरिक्ष अभियानों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। उन्होंने चांद पर इंसान के लिए एक सुरक्षित जगह का पता लगाने में कामयाबी हासिल की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने चांद पर ऐसी जगह की खोज की है जहां पर अंतरिक्ष यात्री अपने अभियानों के लिए सुरक्षित बेस स्थापित कर सकते हैं। स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी) में वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-1 के मैपिंग कैमरे और हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजर (एचवाईएसआइ) पेयलोड से मिले आंकड़ों का इस्तेमाल कर यह जगह खोजी है। यह एक सामानांतर लावा गुफा है जो 1.2 किलोमीटर लंबी और सतह में धंसी हुई है। यह गुफा चंद्रमा के समीपवर्ती इलाके में भूमध्य रेखा के ऊपर स्थित है। इसमें बड़ी संख्या में अंतरिक्ष यात्रियों और वैज्ञानिक उपकरणों को रखा जा सकता है। यह जगह इन्हें चंद्रमा के प्रतिकूल वातावरण से बचाए रखेगी। करंट साइंस में इस अध्ययन के निष्कर्षो को प्रकाशित किया गया है। अहमदाबाद में एसएसी के ए.एस. आर्य की अगुवाई वाले वैज्ञानिक दल ने बताया कि ऐसी लावा गुफा भविष्य में मानव के चांद पर रहने के लिए संभावित जगह सिद्ध हो सकती है। यहां से वैज्ञानिक अपने अभियानों और वैज्ञानिक खोजों को जारी रख सकते हैं। उन्होंने बताया कि चंद्रमा के हानिकारक रेडिएशन, छोटे उल्का पिंडों की टक्कर, विपरीत तापमान और धूल के तूफानों वाले भयानक वातावरण से यह जगह बचा सकती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि चंद्रमा पर आगे की खोज करने के लिहाज से इंसान के वहां रहने का एक स्थायी ठिकाना खोजना बेहद महत्वपूर्ण बात है। उन्होंने कहा कि लावा गुफा प्राकृतिक माहौल उपलब्ध कराती है। यहां का तापमान करीब-करीब एक जैसा माइनस 20 डिग्री सेल्सियस बना रहता है। जबकि चंद्रमा पर अन्य इलाकों में दिन-रात के चक्र में तापमान अधिकतम 130 डिग्री सेल्सियस से न्यूनतम माइनस 180 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि लावा गुफा के वातावरण में धूल भी नहीं पहुंची है। वैज्ञानिकों ने बताया कि गुफा की बनावट भी यहां रहने वालों का बचाव करेगी क्योंकि छह मीटर गहराई के बाद भी यहां रेडिएशन के कोई संकेत नहीं मिले। उन्होंने बताया कि एक मीटर से भी कम गहराई में सोलर कणों की क्रियाशीलता के कारण रेडिएशन के कोई संकेत नहीं दिखे। प्राकृतिक या किसी घटना से प्रेरित रेडियोधर्मिता लावा गुफा में संपर्क पर कोई उल्लेखनीय भूमिका अदा नहीं करती है। उन्होंने कहा कि लावा गुफा सिर्फ सुरक्षित प्राकृतिक जगह ही नहीं हैं बल्कि चंद्रमा पर बेस बनाने के लिए एक बना बनाया निर्माण भी है।

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