Monday, February 7, 2011

पता चलेगा क्यों भिन्न होती है सबकी शारीरिक बनावट


लोगों की शारीरिक बनावट से लेकर रोगों के प्रति खतरे भिन्न क्यों होते है, इस तरह के तमाम सवालों के जवाब वैज्ञानिकों के लिए अभी तक पहेली ही बने रहे हैं। मगर अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इनके हल मिल सकते हैं क्योंकि उन्हें इंसान के शरीर में जंपिंग जीन के प्रमाण मिल गए हैं। यह विशेष प्रकार का जीन व्यक्तियों के बीच विभिन्नता पैदा करने में अहम भूमिका निभाता है। जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने रेट्रोट्रांसपोजन पोलिमोर्फिस्म (रिप) के कुछ नए प्रकारों का खुलासा किया है जो कुछ व्यक्तियों में होते हैं जबकि कुछ अन्य में नहीं होते। रेट्रोट्रांसपोजन घुमक्कड़ डीएनए होते हैं जो जीनोम में एक-जगह से दूसरी जगह घूमते रहते हैं और अपनी संख्या भी बढ़ाते जाते हैं। 1000 जीनोम्स नामक एक प्रोजेक्ट से मिले 310 व्यक्तियों के जीनोम संबंधी कच्चच् आंकड़ों का वैज्ञानिकों ने इंसानी जीनोम में जीनों की मानक स्थिति से तुलना किया। शीर्ष वैज्ञानिक हेग कजाजियान ने बताया, किसी भी व्यक्ति में केवल 80 से 100 रेट्रोट्रांसपोजन ही सक्रिय तौर पर नई जगह जाकर अपनी संख्या बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा, हम केवल इसी की खोज नहीं कर रहे कि वे कहां होते हैं या वे किनमें पाए जाते हैं बल्कि इसका भी पता लगा रहे हैं कि किस आवृत्ति के साथ वे नई जगह जाते हैं। शोधकर्ताओं ने एल1 रेट्रोट्रांसपोजन की पहचान की। शोधकर्ता दल के एक सदस्य एडम डी विंग ने बताया कि हमारे जीनोम में करीब करीब पांच लाख छितरे हुए एल1 सीक्वेंस होते हैं जो विकासपरक इतिहास के साथ साथ संचित होते जाते हैं।


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