Wednesday, February 9, 2011

वैज्ञानिकों ने खोजा आठवां आश्चर्य


: वैज्ञानिकों ने न्यूजीलैंड में करीब 100 साल से मिट्टी में दबी गुलाबी और सफेद रंग की सीढ़ीनुमा आकृतियों के अवशेषों को खोज निकाला है। उनका दावा है कि यह आकृतियां दुनिया का आठवां आश्चर्य हैं। दरअसल यह पिंक टैरेस एक सदी पहले ज्वालामुखी के नीचे दब गया था जो बरसों बाद मिला है। उत्तरी आईलैंड में रोटोमहाना झील के किनारे बनी यह गुलाबी और सफेद रंग की आकृतियां 19 वीं सदी के आखिर तक दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र थीं। वे जियोथर्मल प्रणाली की वजह से बनी कुदरत की इस खूबसूरत रचना को दिलचस्पी से देखते थे। इसी बीच 10 जून 1886 को माउंट टैरवेरा ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ और उसके लावे के आगोश में यह आकृतियां भी आ गईं तथा तलछट में दब गईं। झील का विस्तार हो गया और वह हिस्सा इसके दायरे में आ गया जहां गुलाबी और सफेद टैरेस थे। एक सदी से भी अधिक समय तक लोग यह अटकलें लगाते रहे कि क्या सीढ़ीनुमा खूबसूरत आकृतियों का कोई हिस्सा ज्वालामुखी के कहर में बच पाया। अब एक अंतरराष्ट्रीय दल ने अत्याधुनिक तकनीक की मदद से रोटोमहाना झील की सतह नापी और उसी दौरान वहां गुलाबी टैरेस के बड़े हिस्सों का पता चला। दल के प्रमुख और न्यूजीलैंड के जीएनएस साइंस के कॉर्नेल डे रोन्डे ने बताया कि वैज्ञानिक इस उपलब्धि से उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि शुरू में हमें टैरेस होने के संकेत मिले तो हमने दोबारा पूरा इलाका देखा। हमें 95 फीसदी भरोसा है कि सतह पर हमने गुलाबी टैरेस देखा। वैज्ञानिकों का कहना है कि एकत्र किए गए आंकड़ों में पानी में अ‌र्द्धचंद्राकार टैरेस जैसी रचनाएं उस स्थान पर साफ नजर आ रही हैं जहां 1886 से पहले गुलाबी और सफेद सीढ़ीनुमा रचनाएं थीं। ए रचनाएं भूरे रंग की तलछट से ढकी हैं। इन रचनाओं का पता लगाने के बाद, वैज्ञानिकों ने पानी के अंदर प्रयुक्त किए जाने वाले कैमरे से झील की सतह की तस्वीरें लीं जहां से इस टैरेस के अवशेष की झलक दिखाई दे रही है। डॉ. डे रोन्डे ने बताया कि शेष सीढ़ीनुमा रचनाएं या तो ज्वालामुखी में विस्फोट के दौरान नष्ट हो गईं या अब भी मोटी तलछट के नीचे दबी हैं। बहरहाल, वैज्ञानिकों को उस स्थान पर विशाल सफेद सीढ़ीनुमा रचना के कोई चिह्न नहीं मिले, जहां 1886 से पहले यह थीं। दोनों टैरेस ज्वालामुखी में विस्फोट से पहले ही अलग अलग हो चुके थे।

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