Saturday, January 8, 2011

150 किमी ऊपर ध्वस्त होगी दुश्मन मिसाइल

हमलावर मिसाइल को अब 80 किमी नहीं, बल्कि आकाश में 150 किमी ऊपर ही मार गिराया जाएगा। दुश्मन मिसाइलों के खतरे से बचने के लिए रक्षा प्रणाली तैयार कर रहे देश के वैज्ञानिक अब इसकी क्षमताएं बढ़ाने में जुटे हैं। जमीन से 80 किमी ऊपर हवा में दुश्मन मिसाइल को ध्वस्त करने की क्षमताओं को वैज्ञानिक पहले ही आंक चुके हैं। अब इस साल के अंत तक वह 150 किमी की ऊंचाई पर दुश्मन मिसाइल को मार गिराने की अपनी ताकत को भी परखेंगे। वैज्ञानिकों की तैयारी बाद में इस क्षमता को 300 किमी ऊंचाई तक बढ़ाने की है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के महानिदेशक वीके सारस्वत ने बताया कि इस साल के अंत में इस रक्षा प्रणाली का परीक्षण किया जा सकता है। 98वीं भारतीय साइंस कांग्रेस में शिरकत करने पहुंचे सारस्वत ने कहा कि डीआरडीओ के वैज्ञानिक बाद में इस क्षमता को 300 किमी तक ले जाने पर भी काम कर रहे हैं। डीआरडीओ द्वारा विकसित किए गए मिसाइल रक्षा कवच में लंबी दूरी तक निगाह रखने वाले रडार और लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कि दुश्मन मिसाइल को हवा में ही मार गिराया जा सके।
इस प्रणाली का दिसंबर 2006 से अब तक तीन बार सफल परीक्षण हो चुका है। हाल ही में अग्नि-दो का परीक्षण नाकाम रहने के लिए सारस्वत ने उद्योगों से खरीदे गए उपकरणों को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि ये उपकरण घटिया क्वालिटी के निकले। पिछले महीने ही अग्नि-दो का परीक्षण किया गया था। उन्होंने कहा कि हमें उद्योगों से अच्छी गुणवत्ता वाले उपकरण मिलने चाहिए। अब से डीआरडीओ उपकरणों की गुणवत्ता ही नहीं जांचेगा, बल्कि यह भी देखेगा कि उन्हें तैयार करने की प्रक्रिया गुणवत्तापूर्ण है या नहीं।
डीआरडीओ अपनी एक मार्केटिंग शाखा भी खोलने की तैयारी कर रहा है। सारस्वत ने बताया कि हमारे पास कई ऐसी तकनीकें हैं जो आम लोगों या अर्धसैनिक बलों के काम आ सकती हैं। डीआरडीओ सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कुछ हथियारों को अर्धसैनिक बलों के मुताबिक भी तैयार कर सकता है। 

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