Sunday, January 30, 2011

वनमानुष से 97 समान हैं हम


वनमानुषों और मानवों के डीएनए चिंपाजी के डीएनए से अधिक समान हैं

जंगलों में अब केवल 50 हजार बार्नियन प्रजाति के वनमानुष शेष बचे हैं
वैज्ञानिकों की पूर्व सोच से कहीं अधिक समानता है मानव और वनमानुष में, इस बात का खुलासा नई रिसर्च में हुआ है। वनमानुष का पहला ब्लूप्रिंट लिया गया जिसके जेनेटिक कोड से पता चला है कि मनुष्यों और वनमानुषों (औरंगउटान) के डीएनए 97
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समान हैं। जबकि लाल बालों वाले वानर चिंपाजी से बहुत अधिक समानता रखते हैं, इनमें 99 प्रतिशत समान डीएनए पाए गए हैं। इस स्टडी ने पहली बार वनमानुषों और मानवों के जेनेटिक कोड को तलाशने में सफलता हासिल की है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनकी इस खोज से कई प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाया जा सकता है। वर्तमान में 50 हजार बार्नियन और 7 हजार सुमत्रन नामक वनमानुष जंगलों में शेष बचे हुए हैं। जंगलों के खत्म होने के कारण इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। वैज्ञानिकों ने सुजी नाम की सुमत्रन प्रजाति के वनमानुष के डीनए को अन्य 5 सुमत्रन और 5 ही बार्नियन प्रजाति के वनमानुषों के डीएनए से मेल कराया। उन्होंने पाया कि 1 करोड़ 30 लाख डीएनए वानरों से मेल खाते हैं। कुछ जानवरों में से वनमानुष ही ऐसे हैं जिन्होंने मिरर टेस्ट पास किया है। शोध का सुझाव है कि जैसे मनुष्यों में विभिन्नताएं पाई जाती हैं उसी तरह अलग-अलग वनमानुषों में अलग-अलग ही योग्यताएं होती हैं। वनमानुषों में एक गुण ऐसा पाया गया है कि वह संकेतों की भाषा द्वारा मानवों तक अपनी बात पहुंचाने की क्षमता रखते हैं। चिंपाजी और मानवों में 5 से 7 लाख वर्षों से समानता देखी जा रही है। लेकिन नई रिसर्च ने इस बात को साबित कर दिया है कि वनमानुषों (औरंगउटान) के डीएनए चिंपाजी से अधिक मानवों के डीएनए जैसे हैं।



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