Sunday, January 16, 2011

देख लें अब क्या है आपकी राशि!


ध्यान से देखें कि आपने आज जो राशिफल अखबार में पढ़ा है क्या वह वाकई आपका है? अंतरिक्ष में राशियों की स्थिति कोई दो हजार पूर्व निर्धारित की गई थी। खगोलविदों का दावा है कि राशियों की स्थिति अंतरिक्ष में इन वर्षो में बदल चुकी हैं। इन दावों से पाश्चात्य ज्योतिष प्रभावित हो सकता है क्योंकि वह सूर्य की स्थिति से राशियों की गणना करता है। न्यूयॉर्क के हैडन प्लेनेटोरियम के व्याख्याता जो राव के अनुसार पाश्चात्य ज्योतिष सूर्य को केंद्रीय और स्थिर मानता है, जबकि खगोलविज्ञान के अनुसार संपूर्ण अंतरिक्ष गतिमान है। राव के अनुसार राशियों की स्थिति में बदलाव पृथ्वी के समय के साथ अपनी धुरी पर झुकने के कारण आया है। यह झुकाव चंद्रमा के पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की ओर आकर्षित होने से पैदा हुआ है। राशियों में परिवर्तन की बात पिछले सप्ताह उस समय चर्चा में आई जब मिनिसोटा प्लेनेटोरियम सोसायटी के सदस्य पार्क कुंकल ने एक अखबार को दिए साक्षात्कार में राशियों की तिथियों और अंतरिक्ष में राशियों की स्थिति में भिन्नता का मुद्दा उठाया। राव ने कहा, कैलेंडर में राशि और अंतरिक्ष में राशियों की स्थिति में फर्क की पहचान सबसे पहले ईसा पूर्व 280 में एरिस्टारकस ने की थी। उनका कहना है कि पृथ्वी की स्थिति परिवर्तनशील है इसलिए रात्रि में आकाश की स्थिति भी हमें बदली हुई दिखती है। अपनी धुरी पर घूमती हुई पृथ्वी का केंद्र लगातार अपनी दिशा बदलता है। राव ने कहा, हम धु्रव तारे (पोलरिस) का उदाहरण ले सकते हैं। हमारे उत्तरी ध्रुव के सबसे नजदीक यही है। लेकिन जिस काल मे मिस्र के पिरामिड बन रहे थे, तब थुबान नामक तारा ध्रुव के सबसे नजदीक था। 12 हजार साल में पोलरिस की जगह वेगा ले लेगा। अंतरिक्ष में सब कुछ गतिमान है। वैसे खगोलविज्ञानियों का दावा है कि राशियों का मनुष्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

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